Tuesday, August 18, 2009

अपना खेत-अपनी पाठशाला का दसवां सत्र

निडाना गावं में अपना खेत--अपनी पाठशाला का आज दसवां सत्र है. पाठशाला में किसानों की व् खेत में कीटों की संख्या लगातार कम हो रही है. एकल परिवार व् खुश्क मौसम के चलते निडानी का वजीर तो कदे ट्यूबवैल अर् कदे माइनर के साथ लटोपिन रहता है. चाबरी का सुरेश दक्षिण भारत के दौरे पर चला गया. रूपगढ के राजेश व् कुलदीप एक तो आण--जाण के खर्चे से डर गये व् दुसरे इस कपास के खेत में अभी नये--नये कीड़े नही मिल रहे. भैरों खेडा के मनोज की नानी बीमारी के चलते हिसार हस्पताल में दाखिल हो गई अर् रोशन के संदीप की अकेले यहाँ आण का ब्योंत नहीं. निडाना के पाले की भैंस अनजानी बीमारी की चपेट में आ गई. जयकिशन का साला गुजर गया. विनोद का ड्राइवर भाग गया. जयपाल नए पिछले दिनों अपनी कपास में जिंक--यूरिया घोल के साथ इमिडा का स्प्रे मार लिया. इसीलिए शर्म के मारे गोल हो गया. पाठशाला में नियमित हाजिरी बजाने वाले , महाबीर का कुछ पत्ता नहीं लगा.
जहाँ तक कीटों की बात है इस पाठशाला वाले खेत में कीट भी टोहे--टोहे पावै से. सफ़ेद मक्खी, तेला, चुरडा, स्लेटी भुंड व् माइट्स आदि कीटों की संख्या आर्थिक कगार से कोसों दूर है. जिस पत्ते पर चुरडे पावै थे उस पर माइट्स गायब पावै थी. इसका मतलब दोनों कीटों में सहअस्तित्व का रिश्ता नहीं है. रणबीर का यह भी कहना था अक् चुरडा माइट्स का खून चूसता है. रणबीर ने यह भी बताया कि मिलीबग की इस खेत में दोबारा से शुरुवात हो चुकी है.
जहाँ तक पिछले सत्र में लिए गये होमवर्क कि बात है सिर्फ़ पाँच किसान ही इसे पुरा करके लाये हैं. होमवर्क था अपने--अपने खेत में कपास कि फसल पर जिंक, यूरिया व् डी.ऐ.पी.की तिगड़ी के 5% घोल का स्प्रे करना व् इसका पौधों व् कीटों पर प्रभाव देखना. राममेहर ने अपनी रिपोर्ट पेश करते हुए बताया कि पौधों पर गजब का रौनक मेला था अर् कीडों की माँ सी मर रही थी. छोटे--छोटे कीट तो मरे पाये गये व् स्लेटी भुंड जैसे कीटों की कसुती सत्या हार रही थी.
संदीप ने बताया कि यू स्प्रे तो कपास व् धान में गजब का काम करै सै. पौधों में पोषण का अर् कीटों पर जहर का काम करते साफ़--साफ देखा गया.
रणबीर ने बताया कि इस 5% घोल का स्प्रे जहाँ कपास कि फसल के लिए अमृत का काम करते पाया वहीं कीटों के लिए हानिकारक पाया. सफ़ेद मक्खी, चुरडे, माईट्स, मिलीबग के शिशु व् तेले के निम्फ आदि कीटों के लिए मौत का पैगाम बना यह पौषक तत्वों के घोल का स्प्रे. स्लेटी भुंड व् भूरी पुष्पक बीटल के लिए मौत तो नहीं पर भयंकर सुस्ती का आलम जरुर लेकर आया यह स्प्रे.
रत्तन सिंह व् पं चंद्रपाल की रिपोर्टें भी इन रिपोर्टों से मेल खाती हुई थी.
इस घोल के कीटनाशी प्रभावों को व्यापक पैमाने पर जाँचने--परखने के लिए तथा इससे होने वाले पोषण का भरपूर फायदा उठाने के लिए किसानों ने विभिन् गावों में कृषि--पंचायत आयोजित करने का फैसला किया. अगस्त की बीस तारीख को पहली इसी पंचायत ललित खेडा में आयोजित की जायेगी. अगले सप्ताह यह कृषि--पंचायत चाबरी व् खरक रामजी गाँव में आयोजित की जायेगी.

1 comment:

  1. Excellent & intresting keep it up. it will be be example for farming community.

    ReplyDelete