Tuesday, September 1, 2009

अपना खेत-अपनी पाठशाला का बाहरवां सत्र

आज अपना खेत अपनी पाठशाला को चलते हुए तीन महीने हो चुके हैं। पाठशाला के किसान पौधों पर कीटों की गिनती करते करते बोर हो चुके हैं। अब किसान कपास की फसल में नये नये कीटों के चक्कर में रहते हैं।जहाँ पुराने कीटों की संख्या कम हुई है । वहीं कपास में नये कीटों का आगमन टिंडों के साथ हुआ है। ये कीट हैं रेड कोटन बग और कॉटन डस्की बग जिन्हें किसान लाल बनिया तथा मटमला बनिया कहते है। किसानो ने इन कीटो को जब सीधे तौर नुकसान करते हुए नही पाया तो आपसमें चर्चा का दोर शुरू हुआ। सुनील ने बताया शायद ये कीट कपास में नुकसान नही phunchate है बसाऊ ने बताया बुजुर्ग इन कीटो को बनिया बताते है। इस का मतलब साफ है किये कीट नुकसान तो जरुर पहुचाते हैं। बनिये ने किसानो को नुकसान ही पहुंचाया है। रणबीर ने सोचने पर मजबूर करते हुए कहा ये यदि नुकसान नही करते तो ये यहाँ पर कर क्या कर रहे हैं। ये क्या खा क्या रहे हैं । जिस से ये जिन्दा रहते हैं। यह बात सोचने वाली थी इस लिए किसानों ने दोबारा गहनता से निरिक्षण शुरू किया। जिस में पाया गया कि ये कीट खिली हुई कपास में बिनोलो के पास झूमे हुए पाए और इन कि हरकतों पर ध्यान देने पर पाया कि ये कीट बिनोलो से तेल चूसते हैं। और कपास कि क्वालिटी को नुकसान पहुंचाते हैं। किसानो ने इन कीटों के उदगमस्थल को तलाश ने कि कोशिश तो कॉटन डस्की बग के अंडे तथा बच्चों को खिली हुई कपास के अंदर काफी मात्रा पाया। यह तो दुर्भाग्य है कि दोनों ही कीट बदबूदार हैं । जिस से कोई भी कीट इन कीटों को नुकसान पहुंचाते हुए अभी तक तो नही पाया गया लेकिन पिछले सप्ताह के मुकाबले इन कीटों कि घटी संख्या को देखते हुए लगता है कि कोई कीट तो हैं जो इन कीटों को नुकसान पहुंचाते हैं।
sthal








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