Wednesday, June 17, 2009

अपना खेत-अपनी पाठशाला का पहला दिन।



मिली बग का शिकार।
ग्रुपों में अध्यन।
आज जून की सोलाह तारीख को निडाना गावं में महाबीर के खेत पर कीट साक्षरता अभियान की शुरुवात करते हुए "अपना खेत-अपनी पाठशाला" का उद्धघाटन डा.रोहताश सिंह,  उप निदेशक कृषि विभाग, जिला जींद द्वारा किया गया। डा.सिंह ने किसानो को बताया कि किसान खेत स्कूलों का आयोजन तो कृषि विभाग भी आए साल करता है, परन्तु किसानों की पहल पर अपने बलबूते यह अभियान चलाना अपने आप में एक अनूठा एवं सराहनीय प्रयास है। इस पाठशाला में उतप्रेरक की भूमिका निभा रहे डा.सुरेंदर दलाल ने मुख्य अथिति को बताया कि इस खेत पाठशाला में निडाना के किसानों के अलावा निडानी, भैरों खेड़ा, चाबरी, ललित खेडा, रुपगढ़ व् ईगराह के किसान भी भाग ले रहे है। इस अध्यन वास्ते इन किसानों के पास औजारों के नाम पर साधारण किस्म के मैगनिफाइंग-ग्लास, चार्ट व् स्कैच-पेन आदि ही हैं। किसान हर सप्ताह मंगलवार के दिन सुबह सात बजे से साढे ग्याहरा बजे तक महाबीर के खेत में कपास के पारिस्थितिकतंत्र का विस्तार से अध्यन करा करेंगे। इस काम के लिए पांच-पांच की संख्या के साथ किसानों के छ ग्रुप होंगे। हर ग्रुप दस-दस पौधों का बारीकी से अवलोकन व् निरिक्षण करेगा। इन पौधों पर हानिकारक व् लाभदायक कीटों की गिनती करेगा। इस तरह से हर सप्ताह कुल साठ पौधों के आधार ही कपास फसल की परिस्थिति का विश्लेषण किया जाएगा जिसके आधार पर कीटनाशकों के इस्तेमाल करने या ना करने का फैसला किया जाएगा। किसान सनै-सनै कपास के इस खेत में पाए जाने वाले कीटों की पहचान का काम, इन कीटों की भक्षण क्षमता व् इनकी प्रजनन क्षमता की भी जानकारी जुटाएंगे।
लेडि बीटलः ब्रह्मड़ो
एनासिय्स से परजीव्याभित मिलीबग।
मिलीबग के पेट से निकला एनासिय्स का लार्वा।
आज मौके पर पौधों कि गिनती करने पर कपास के इस एक एकड़ में 2404 पौधे ही पाये गए। पौधों की इस संख्या को काफी कम माना गया। आज के दिन इस खेत में तेले, चुरडे व् मिलीबग नामक रस चूसक कीटों की संख्या नाम मात्र ही पाई गई जोकि आर्थिक कगार से कोसों दूर है। अभी से मिलीबग के प्रकोप की शुरुवात होने के कारण, महाबीर के माथे पर चिंता की लकीरें देखी गई। लेकिन किसानों के छ: समूहों द्वारा अलग-अलग से मिलीबग के दो दुश्मन इसी खेत में ढूंढ़ लेने से महाबीर को कुछ तसल्ली हुई। मिलीबग को चबा कर खाने वाली कोक्सिनेलिड कुल की ब्रुमस नामक बीटल इस खेत में सबसे पहले जयपाल के ग्रुप ने देखी। मौके पर हाजिर डा.सुरेन्द्र दलाल ने किसानों को बताया कि ब्रुमस व् इसके बच्चे मांसाहारी कीट है तथा ये मिलीबग की थैली में से इसके शिशुओं को बड़े चाव से खाते है। मिलीबग के दुश्मन नम्बर दो के रूप में जोगिन्द्र के ग्रुप ने एक सम्भीरका को पकड़ लिया। एनासियस नाम की यह सम्भीरका अपना अंडा मिलीबग के शरीर में देती है। अंड विस्फोटन के बाद इस सम्भीरका का बच्चा मिलीबग के पेट में पलता है। ज्योंही यह बच्चा मिलीबग को अन्दर ही अन्दर खाना आरम्भ करता है,मिलीबग गंजा होना शुरू हो जाता है तथा मिलीबग का रंग पलट कर भूरा लाल होना शुरू हो जाता है। यह सम्भीरका अपने जीवन कल में तकरीबन 100 अंडे देती है। डा.दलाल ने बताया कि यह एनासिय्स नामक सम्भीरका अपने यहाँ के फसल तंत्र में मिलीबग नियंत्रण के लिए एंडी परजीव्याभ है जिसने पिछले साल मिलीबग को 60-70 तक परजीव्याभित कर दिया था।सत्र के अंत में कृषि उपनिदेशक डा.रोहताश सिंह ने इस पाठशाला के किसानों के लिए पैन, पैड व् उतम क्वालिटी के मैग्निफाइंग-ग्लास मुफ्त में उपलब्ध करवाने का भरोसा दिलाया। पाठशाला में आज भी प्रसाद के तौर पर बाकुलियाँ ही बांटी गई।

खेत पाठशाला में शामिल किसानः

1  रणबीर मलिक  निडाना   9416517951 16 सेवा सिंह   निडाना  
2  रत्तन सिंह    निडाना    9466318487  17 जयदीप      निडाना   9416852554
3  राममेहर    निडाना    9416358236  18 जिले शर्मा    निडाना   9416605207
4 महाबीर   निडाना    9991620820  19 विनोद    निडाना  
5 रघबीर  निडाना    9467684668  20 मनबीर रेड्हू  ईगराह 9467103846
6 दीपक  निडाना   9416107619 21 नरेंद्र   ईगराह  9466463471
7 पाला   निडाना    9466071095  22 धर्मबीर   ईगराह 8901016850
8 जैपाल   निडाना   9466075082 23 वजीर मलिक   निडानी   9466551396
9 दिलबाग शर्मा  निडाना       9416512068      24 राजेश  रूपगढ     9466815707
10 जयकिशन पं  निडाना   9416147383 25 कुलदीप   रूपगढ     9466283867
11 महाबीर पिण्डा  निडाना   9466963929 26 रमेश मलिक ललित खेड़ा 9416938697
12 संदीप   निडाना    9416147537 27 रामदेवा ललित खेड़ा 9467980488
13 विनोद   निडाना   9416775025 28 राजकुमार ललित खेड़ा 9466476277
14 चंद्रपाल   निडाना   9813640936 29 कृष्ण मलिक ललित खेड़ा
15 नरेंद्र बच्ची  निडाना   9466720695 30 बसाऊ  राम   निडाना  





























मिलीबग

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