मेघराज की गर्ज,
कीटनाशको का कर्ज,
पीठ पे टंकी, टंकी में जहर,
उठ रही थी कीटनाशको की लहर
दिनांक -(20-07-2013)
ये नजारा था डॉ सुरेंद्र दलाल कीट पाठशाला के बगल वाले खेत का जहां किसान पीठ पर स्प्रे की टंकी लादे कीटनाशको की बौछार कर रहा था और उसके पडोसी खेत में बिना कीटनाशको के खेती करने की मुहिम को बढ़ाया जा रहा था। आज राजपुरा में खेत पाठशाला का पांचवा सत्र शुरू होने वाला था जिसमे कृषि विकास अधिकारी शिरकत करने वाले थे जिनका नेतृत्व कर रहे डॉ बलजीत लाठर। खेत, दिवार, व् पेड़ सभी कीटो के पोस्टरों से लदे हुए थे और ये मेहनत थी सरपंच बलवान की। तैयारी हो जाने के बाद समय था किसानो के साथ बैठकर कार्यक्रम को आगे बढाने की योजना बनाना। समय के साथ कृषि विकास अधिकारी भी पहुच गए जो की 21 दिवसीय प्रशिक्षण पर आये हुए थे और अधिकतर नौजवान थे। 30-35 अधिकारियों का जत्था जैसे ही पाठशाला में पंहुचा तो सभी में खुशी की लहर दौड़ पड़ी।पाठशाला में बतोर मुख्यातिथि रहे धर्मपाल उर्फ़ मोनू लोहान ने 11000 रूपए की राशि इस मुहिम को आगे बढाने के लिए भेट की।सभी पेन, कापी, और लेंस लेकर खेतो में पहुच गए और कीटो का अवलोकन किया। नोजवान अधिकारी बहुत उत्साहित नजर आ रहे थे। अवलोकन के बाद मेजर कीड़ो का आकड़ा खतरे की सीमा से नीचे ही रहा जैसा की हर बार होता आया था। कृषि विकास अधिकारी डॉ कमल सैनी व् कीटाचार्य रणबीर,मनबीर, बलवान,सुरेश आदि ने पाठशाला को आगे बढ़ाया। उन्होंने अपने अनुभव साझा करते हुए बताया की पौधे और कीड़ो में बहुत पुराना रिश्ता है ये एक दुसरे के साथ लाखो सालो से रह रहे है और हम स्प्रे करके इनके रिश्ते को तोड़ने में लगे हुए है और अपने आप को विनाश की और धकेल रहे है। उन्होंने बात को आगे बढाते हुए कहा की किसान भय और भ्रम के कारण अंधाधुंध स्प्रे कर रहा है और अपने आप को मुसीबत में डाल रहा है इस भ्रम से निकलने का तो एक ही उपाय है की कीड़ो की पहचान करी जाये। कीटाचार्य किसानो ने अपना ज्ञान अधिकारीयों से साझा करते हुए कीड़ो का फसल चक्र व् उनके खान पान के बारे में बताया। इस मुहीम को आगे बढाने के लिए और सही मार्गदर्शन देने के लिए अधिकारियों को चाहिए की वे भूमिगत ज्ञान भी हासिल
कर ले। इन सब के बाद किसानो व् अधिकारीयों के बीच बातचीत हुई जिसमे किसानो ने अधिकारियों के सवालों के जवाब पूर्ण रूप से दिये और अधिकारियों की उलझनों को दूर किया। अंत में बराह तपा खाप के प्रधान कुलदीप ढांडा ने सबका धन्यवाद् करते हुए पाठशाला का अंत किया।
कीटनाशको का कर्ज,
पीठ पे टंकी, टंकी में जहर,
उठ रही थी कीटनाशको की लहर
दिनांक -(20-07-2013)
ये नजारा था डॉ सुरेंद्र दलाल कीट पाठशाला के बगल वाले खेत का जहां किसान पीठ पर स्प्रे की टंकी लादे कीटनाशको की बौछार कर रहा था और उसके पडोसी खेत में बिना कीटनाशको के खेती करने की मुहिम को बढ़ाया जा रहा था। आज राजपुरा में खेत पाठशाला का पांचवा सत्र शुरू होने वाला था जिसमे कृषि विकास अधिकारी शिरकत करने वाले थे जिनका नेतृत्व कर रहे डॉ बलजीत लाठर। खेत, दिवार, व् पेड़ सभी कीटो के पोस्टरों से लदे हुए थे और ये मेहनत थी सरपंच बलवान की। तैयारी हो जाने के बाद समय था किसानो के साथ बैठकर कार्यक्रम को आगे बढाने की योजना बनाना। समय के साथ कृषि विकास अधिकारी भी पहुच गए जो की 21 दिवसीय प्रशिक्षण पर आये हुए थे और अधिकतर नौजवान थे। 30-35 अधिकारियों का जत्था जैसे ही पाठशाला में पंहुचा तो सभी में खुशी की लहर दौड़ पड़ी।पाठशाला में बतोर मुख्यातिथि रहे धर्मपाल उर्फ़ मोनू लोहान ने 11000 रूपए की राशि इस मुहिम को आगे बढाने के लिए भेट की।सभी पेन, कापी, और लेंस लेकर खेतो में पहुच गए और कीटो का अवलोकन किया। नोजवान अधिकारी बहुत उत्साहित नजर आ रहे थे। अवलोकन के बाद मेजर कीड़ो का आकड़ा खतरे की सीमा से नीचे ही रहा जैसा की हर बार होता आया था। कृषि विकास अधिकारी डॉ कमल सैनी व् कीटाचार्य रणबीर,मनबीर, बलवान,सुरेश आदि ने पाठशाला को आगे बढ़ाया। उन्होंने अपने अनुभव साझा करते हुए बताया की पौधे और कीड़ो में बहुत पुराना रिश्ता है ये एक दुसरे के साथ लाखो सालो से रह रहे है और हम स्प्रे करके इनके रिश्ते को तोड़ने में लगे हुए है और अपने आप को विनाश की और धकेल रहे है। उन्होंने बात को आगे बढाते हुए कहा की किसान भय और भ्रम के कारण अंधाधुंध स्प्रे कर रहा है और अपने आप को मुसीबत में डाल रहा है इस भ्रम से निकलने का तो एक ही उपाय है की कीड़ो की पहचान करी जाये। कीटाचार्य किसानो ने अपना ज्ञान अधिकारीयों से साझा करते हुए कीड़ो का फसल चक्र व् उनके खान पान के बारे में बताया। इस मुहीम को आगे बढाने के लिए और सही मार्गदर्शन देने के लिए अधिकारियों को चाहिए की वे भूमिगत ज्ञान भी हासिल
कर ले। इन सब के बाद किसानो व् अधिकारीयों के बीच बातचीत हुई जिसमे किसानो ने अधिकारियों के सवालों के जवाब पूर्ण रूप से दिये और अधिकारियों की उलझनों को दूर किया। अंत में बराह तपा खाप के प्रधान कुलदीप ढांडा ने सबका धन्यवाद् करते हुए पाठशाला का अंत किया।
मेजर कीड़ो की प्रति पत्ता औसत व् उनकी खतरे की संख्या जो की गोल की हुई है |